जैन धर्म प्रार्थना

जैन धर्म प्रार्थना

अरिहंत नमो भगवंत नमो, परमेश्वर जिनराज नमो ।
प्रथम जिनेश्वर प्रेमे पेखत, सिद्धं सघला काज नमो ॥
प्रभु पारंगत परम महोदय, अविनाशी अकलंक नमो ।
अजर-अमर अद्भुत अतिशय निधि, प्रवचन जलधि मयंक नमो ॥
सिद्ध-बुद्ध तूं जगजन, सज्जन- नयनानन्दन देव नमो ।
सकल सुरासुर नरवर नायक सारअहो, निश सेव नमो ॥
तूं तीर्थंकर सुखकर साहिब, तूं निःकारण बन्धु नमो ।
शरणागत भविने हितवत्सल, तुही कृपारस सिन्धु नमो ॥
केवल ज्ञानादर्शे दर्शित लोकालोक स्वभाव नमो ।
नाशित सकल कलंक कलुषगण दुरित उपद्रव भाव नमो ॥
घोर अपार भवोदधि-तारण, तूं शिवपुरणो साथ नमो ।
अशरण-शरण निराग निरंजन, निरुपाधिक जगदीश नमो ।
बोध दीनूं अनुपम दानेसर, ज्ञान- विमल सुर ईश नमो ॥

णमोकार मंत्र

ॐ णमो अरिहंताणं, ॐ णमो सिद्धाणं, ॐ णमो आइरियाणं ।
ॐ णमो उवज्झायाणं, ॐ णमो लोए सव्वसाहुणं ।
ऐसो पंच णमोकारो- सव्वे पाप-प्पणासणी,
मंगलाणं च सव्वेसिं, पढ़म होई मंगलं ।।

पार्श्वनाथ स्तुति

तुमसे लागी लगन, ले लो अपनी शरण पारस प्यारा ।
मेटो मेटो जी संकट हमारा ।।
निशदिन तुमको जपूँ, पर से नेहा तजूँ, जीवन सारा ।
तेरे चरणों में बीते हमारा, मेटो मेटो जी संकट हमारा ।।
अश्वसेन के राज दुलारे, वामा देवी के सुत-प्राण प्यारे
सबसे नेहा तोड़ा, जग से मुँह को मोड़ा, संयम धारा ।। मेटो… ।
इन्द्र और धरनेन्द्र भी आये, देवी पद्मावती मंगल गाये
आशा पूरो सदा, दुःख नहीं पावे कदा, सेवक थारा ।। मेटो… ।
जग के दुःख की तो परवाह नहीं है, स्वर्ग सुख की भी चाह नहीं है ।
मेटो जामन-मरण होवे ऐसा जतन, पारस प्यारा ।।
मेटो लाखों बार तुम्हे शीश नवाऊँ, जग के नाथ तुम्हें कैसे पाऊँ ।
‘पंकज’ व्याकुल भया, दर्शन बिन ये जिया, लागे खारा ।। मेटो.. ।