राजस्थान सेवा नियम (RSR)स्थानीय निकायों के अधीन सेवा (नियम 158)

नियम 158:- स्थानीय निधियों के अधीन सेवा:

>> स्थानीय निधियों के अधीन वह सेवा आती है, जिनका गठन सरकार के किसी अधिनियम या किसी अध्यादेश द्वारा हुआ हो।

>> राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम रीको, कृषि विपणन, बिजली बोर्ड विश्वविद्यालय आदि।

>> स्थानीय निधियों के अधीन की गई सेवा को पेंशन योग्य सेवा आरएसआर में नहीं माना गया है।

अपवादः-

>> आरएसआर के नियम संख्या 168 से 180 का पालन करने पर इनकी सेवाओं को पेंशन योग्य सेवा माना जा सकता है।

>> कोई कर्मचारी 25 साल तक विभाग में निरन्तर सेवा कर रहा है तो उसका स्थानीय निधि  में उसकी अनुमति के बिना स्थानान्तरण नहीं होगा।

>> यदि कोई कर्मचारी स्थानीय निधि पर प्रतिनियुक्ति पर कार्य कर रहा है तथा इस दौरान वह सेवानिवृत हो जाये तो अपने वेतन व भत्ते सम्बन्धित नियोजक से लेगा।

राजस्थान सेवा नियम (RSR)सेवा अभिलेख (नियम 160 से 164)

30 जनवरी 1981 के बाद अध्याय 15 को आरएसआर में प्रतिस्थापित किया गया । नियम 160:- सेवा अभिलेख:- कर्मचारी की नई नियुक्ति होने पर उसके सेवा सम्बन्धित रिकॉर्डों के संधारण के लिये सेवा पुस्तिका सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है।

>> सेवा पुस्तिका की लागत सदैव सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

>> राजपत्रित अधिकारियों की सेवा पुस्तिका उस विभाग के विभागाध्यक्ष या ऊपरी अधिकारी रखते है।

>> अराजपत्रित अधिकारियों की सेवा पुस्तिका कार्यालयाध्यक्ष के पास रहती है।

>> सेवा पुस्तिका के अवलोकन के लिए कर्मचारियों को वर्ष में 02 बार मौका दिया जाता है । » कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका उनके स्थानान्तरण होने पर नये विभाग को तुरन्त प्रभाव से भेज दी जाती है।

नियम 161:- सेवा पुस्तिका में इन्द्राजः

>> सेवा पुस्तिका में कर्मचारी से सम्बन्धित सूचनायें दर्ज की जाती है।

>> सेवा पुस्तिका में कर्मचारी की जन्मतिथि अंकों व शब्दों दोनों में लिखी जाती है तथा उस पर पारदर्शी टेप लगाई जाती है।

>> कर्मचारी के पहचान सम्बन्धित दस्तावेजों की इस सेवा पुस्तिका में प्रविष्ठी की जाती है। > सेवाकाल के दौरान कर्मचारी द्वारा अर्जित विशेष योग्यता का सेवा पुस्तिका में इन्द्राज किया जाता है।

>> एक कर्मचारी एक रूपये की लागत पर सेवा पुस्तिका की डुप्लीकेट कॉपी (प्रतिलिपि) मांग कर सकता है।

>> सेवा पुस्तिका में नियम 103 व 99 के तहत आने वाले अवकाशों का लाल स्याही से अलग से वर्णन होगा।

>> यदि कर्मचारी की सेवा पुस्तिका (मूल) खो जाये तो उसकी प्रतिलिपि को आधार माना जाता है। (सक्षम अधिकारी के विवेक से)

नियम 162:- कर्मचारी के विदेश सेवा में स्थानान्तरण पर सेवापुस्तिका में प्रविष्ठी : – दिनांक 20.01.2006 के बाद राजस्थान में निदेशक अंकेक्षण अधिकारी के पद का सृजन किया गया। कर्मचारी का विदेश सेवा में स्थानान्तरण होता है तो सेवा पुस्तिका में महालेखाकार के आदेश पर निदेशक अंकेक्षण अधिकारी सेवा पुस्तिका सत्यापन करेगा यदि कर्मचारी की विपरीत प्रतिनियुक्ति होती है तो सेवा पुस्तिका सदैव पैतृक विभाग में जमा होगी।

नियम 163:- सेवा के 25 वर्ष पूर्ण होने पर सेवा पुस्तिका को निदेशक पेंशन विभाग में भेजा जाता है। कर्मचारी की सेवानिवृति पर सेवा पुस्तिका कर्मचारी को लौटाई नही जाती है।

नियम 164:- सेवा विवरणिका:- चतुर्थ श्रेणी, अस्थायी, पुलिस के कानि व हैड कानि तक के अधिकारियों को सेवा विवरणिका देय होती है । उनके सभी पहचान, योग्यता, विशेष उपलब्धियां इसमें दर्ज की जाती है।

राजस्थान सेवा नियम (RSR)वित्तीय शक्तियों का प्रत्यायोजन (नियम 165 से 167)

नियम 165:- वित्तीय शक्तियों के उपयोग करने का अधिकार:- आरएसआर में वित्तीय शक्तियों का उपयोग सदैव 02 प्रकार से किया जा सकता है। परिशिष्ट 9 के तहत आने वाले समस्त अधिकारी वित्तीय शक्तियों का उपयोग कर सकते है । सरकार के विभाग के पास भी वित्तीय शक्तियों के उपयोग की अनुमति रहती है।

नियम 166:- वित्तीय शक्तियों के उपयोग से पहले वित्त विभाग की सहमतिः- आरएसआर में नियम 165 के तहत जो अधिकारी या विभाग वित्तीय शक्तियों का उपयोग कर सकते है, उन्हे सदैव पहले से ही एक निश्चित सीमा तक वित्त विभाग की आज्ञा देय होती है।

नियम 167:- देय शक्तियों से अधिक अधिकार प्रयुक्त करने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही:- किसी भी विभाग या परिशिष्ट 9 के तहत आने वाले अधिकारी सदैव उतनी ही वित्तीय शक्तियों का प्रयोग कर सकते है, जितनी वित्त विभाग द्वारा देय होती है

यदि किसी कारणवश देय से अधिक वित्तीय शक्तियों का उपयोग करते है तो वित्त विभाग द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी। यदि अधिक शक्तियों के उपयोग का उचित कारण बता दे तो वित्त विभाग उन्हें इसकी अनुमति दे सकता है।

राजस्थान सेवा नियम (RSR)अध्याय 16 से महत्वपूर्ण तथ्य

मानदेय की दर:- मानदेय की दर अधिकतम 12 प्रतिशत तक हो सकती है।

01 से 59 तक 1 प्रतिशत
60 से 119 तक2 प्रतिशत
120 से 179 तक4 प्रतिशत
180 से 239 तक 6 प्रतिशत

>> जिले में प्राकृतिक आपदा घोषित करने का अधिकार परिशिष्ट 9 के तहत जिला कलेक्टर को होता है।

>> भारत में ही यदि कोई कर्मचारी प्रशिक्षण पर है तो उसके प्रशिक्षण को (नियम 7( 8 ) के तहत ड्यूटी माना जाता है।)

>> एपीओ को ड्यूटी (30 दिन अधिकतम) पर माना जाता है। (नियम 7 ( 8 )(स ) )

>> यदि कोई मृतक आश्रित अनुकम्पा नियुक्ति के बाद आगे अध्ययन हेतु ( बी.एड. बीएसटीसी) अवकाश लेना चाहे तो नियम 96 के तहत परिशिष्ट 9 में आने वाले अधिकारी उसे असाधारण अवकाश दे सकते है।

>> वित्तीय शक्तियों का विस्तार सदैव वित्त विभाग ही कर सकता है। परिशिष्ट 9 में आने वाले अधिकारी अस्थायी पदों का सृजन (IV) तक कर सकते है तथा यह 6 माह तक इन पदों का सर्जन कर सकते है। पद के आगे का विस्तार सदैव वित्त विभाग की सलाह पर ही होगा।